गूगल ने भारतीय सिनेमा की दिग्गज एक्ट्रेस और नृत्यांगना जोहरा सहगल के सम्मान में मंगलवार को डूडल बनाकर उन्हें याद किया। जोहरा सहगल का जन्म 27 अप्रैल, 1912 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ था। जब वह 20 वर्ष की थीं, तब उन्होंने जर्मनी के एक प्रतिष्ठित स्कूल में बैले डांस सीखा। बाद में उन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य के दिग्गज उदय शंकर के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दौरा किया।
साल 1962 में जोहरा सहगल लंदन चली गईं और उन्होंने ब्रिटेन के कई टेलीविजन सीरियलों में काम किया। जोहरा सहगल ने हिंदी समेत कई भाषाओं की फिल्मों में यादगार भूमिका निभाई हैं। उन्होंने दिल से, सांवरिया, चीनी कम जैसी फिल्म में काम किया है। फिल्म चलो इश्क लड़ाए मे जोहरा ने गोविंदा की दादी का रोल प्ले किया था। उनके उस किरदार को आज भी याद किया जाता है।
उनका जन्म सहारनपुर में ढोली खाल के पास मोहल्ला दाऊद सराय में 27 अप्रैल 1912 को पठान मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम साहेबजादी जोहरा बेगम मुमताज उल्ला खान था। उनके पिता मुमताज उल्ला खान और नातिका उल्ला खान उतर प्रदेश के रामपुर निवासी थे।
सात बच्चों में तीसरे नंबर की जोहरा बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा वाली थीं, लेकिन अपनी रुचि के अनुसार नृत्य और रंगमंच में 14 साल तक सक्रिय रहने के बाद उनकी जवानी से लेकर बुढ़ापे तक का सफर फिल्मी दुनिया के नाम रहा। वह अकेली ऐसी शख्स रहीं, जिन्होंने पृथ्वीराज कपूर, पिछली सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर नए जमाने के अभिनेता रणबीर कपूर तक के साथ अभिनय कर छाप छोड़ी।
जोहरा ने अपनी पढा़ई क्वीन मैरी कॉलेज से पूरी की और उनके लिए कॉलेज में पर्दा रखना अनिवार्य था। जर्मनी के मैरी विगमैन बैले स्कूल में एडमीशन पाने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं। तीन साल तक यहां जोहरा ने नए जमाने का डांस सीखा। एक कार्यक्रम के दौरान जोहरा की मुलाकात भारत के मशहूर नर्तक उदय शंकर से हुई।
विदेश में इतनी खूबसूरत भारतीय युवती की पारंपरिक नृत्य में दिलचस्पी देख उदय शंकर बहुत खुश हुए और बोले कि वतन पहुंचते ही वह उनके लिए काम देखेंगे। बाद में उन्होंने भारतीय नृत्य क्षेत्र के महान शख्सियत उदय शंकर के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दौरा किया।
1945 के वर्षों के बाद, सहगल इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन में शामिल हो गईं और अभिनय में जुट गईं। उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्मों में नीचा नगर शामिल है, जो 1946 में कान फिल्म समारोह में प्रदर्शित हुई थी। फिल्म ने महोत्सव का सर्वोच्च सम्मान, पाल्मे डी’ओर पुरस्कार जीता।
1962 में सहगल के लंदन चले जाने के बाद, उन्होंने ‘डॉक्टर हू ‘और ‘द 1984 माइनिजीरिज द ज्वैल इन द क्राउन’ जैसे ब्रिटिश टेलीविजन शो में काम किया। उन्होंने बेंड इट लाइक बेकहम में भी भूमिका निभाई। 10 जुलाई, 2014 को नई दिल्ली में सहगल का निधन हो गया था।